अधुनिक महाराष्ट्र के शिल्पकार-६३

बौध्दों को सहूलियत

पददलितों को न्याय देने का एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यशवंतरावजी ने लिया । हरिजनों को जो सहूलियते मिलती थी, वही सहूलियते बौद्ध धर्म स्वीकार करनेवालों की बंद कर दी गयी थी । बौद्ध धर्म स्वीकारने पर उनका सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछडेपन कम होनेवाला नहीं था । हरिजनों को मिलनेवाली सहूलियते बौद्ध धर्म स्वीकार करनेवालों को मिलनी चाहिए यह माँग यशवंतरावजी ने स्वीकार की । उन्होंने उन्हें सहूलियते देने के आदेश निकाले । इसलिए रिपब्लिकन पक्ष ने उन्हें धन्यवाद दिये ।

नागपूर में जिस स्थान पर डॉ. आंबेडकरजी ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली, उस दीक्षा भूमि पर डॉ. आंबेडकर का स्मारक बनाने का निर्णय लिया । यशवंतरावजी के मन में डॉ. आंबेडकरजी के प्रति आदर था । इसलिए उन्होंने १४ अप्रैल को डॉ. आंबेडकरजी के जयंति निमित्त सार्वजनिक छुट्टी जाहिर की । हरिजन और बौद्ध लोगों की समस्याएँ सुलझाने के लिए यशवंतरावजी ने किये हुए प्रयत्‍न बहु-मूल्य है । उनका यह कार्य अन्य राज्यों के लिए आदर्शवादी एवं अनुकरणीय है ।

हरिजन (महार) वतन पद्धत नष्ट

महाराष्ट्र में हरिजन वतन पद्धत अस्तित्व में थी । इस पद्धति से समाज का अधःपात हुआ था । उन्हें गुलामी का जीवन जीना पडता था । यशवंतरावजीने 'बॉम्बे इन्फिरिअर व्हिलेज वॉन्टस अ‍ॅबॉलिशन अ‍ॅक्ट १९५८' का कानून इस हरिजन वतन पद्धति को प्रतिबंध लगाया । वतन जमीन की तिगुणी किमत लेकर प्रबंधक मालिकों को स्वामित्व का हक वापस कर उनके कब्जे में दी । यह एक बडा ऐतिहासिक कार्य उन्होंने किया ।

भूमिहीनों को जमीन देना

हरिजन वतन पद्धत नष्ट हुई । लेकिन उनका और अन्य पिछडी हुई जाति के पेट का प्रश्न सुलझा नहीं था । यह भूमिहीन वर्ग भूख से तडप रहा था । 'उन्हे रोटी के लिए, पेट के लिए जमीन दो' ऐसी माँग संसद सदस्य दादासाहेब गायकवाडजी ने की ।  यशवंतरावजी को यह माँग न्याय और उचित लगी । इसलिए उन्होंने भूमिहीनों को जमीन देने का काम शुरू किया । यशवंतरावजी का यह निर्णय क्रांतिकारी स्वरूप का था ।

'गुडी पाडवा' को छुट्टी

महाराष्ट्र राज्य की निर्मिति होने के बाद यशवंतरावजी ने गुडी पाडवा की छुट्टी देने का निर्णय लिया । सभी लोगों ने उस निर्णय का स्वागत किया । मंत्रियों के बंगलों के नाम अंग्रेज साहबों के थे । उनके बदले 'सह्याद्री', 'मेघदूत', 'रामटेक', 'वर्षा' आदि नाम दिये ।  इन से महाराष्ट्र को अभिमान लगता है ।

मुख्यमंत्री निधि

आर्थिक अभाव से अनेक सेवाभावी संस्था और संघटनाएँ संकट में पड जाती थी ।  इसलिए प्रथमतः यशवंतरावजी ने मुख्यमंत्री निधि की स्थापना की । अनेक सेवाभावी संस्थाओं को इस निधि से मदद मिलती है । इतना नहीं, कोई गंभीर बीमार पडा, किसी के हृदय का ऑपरेशन करना हो, किसी की जलकर मृत्यू हो गयी हो, किसी का घर जला हो इन सब को इस निधि से मदत मिलती है ।