महाराष्ट्र राज्य साहित्य और संस्कृति मंडल की स्थापना
१ मई १९६० को बम्बईसह संयुक्त महाराष्ट्र राज्य की निर्मिति हुई । नागपूर शहर का महत्त्व कायम रखने की दृष्टि से यशवंतरावजीने विधिमंडल का जाडे के मौसम का अधिवेशन नागपूर में कार्यान्वित करने का निर्णय किया । उसका अमल आज तक शुरू है । इस अधिवेशन में २१ दिसंबर १९६० को महाराष्ट्र राज्य साहित्य और संस्कृति मंडल का उद्घाटन यशवंतरावजीने किया । इस मंडल की स्थापना अर्थात महाराष्ट्र राज्य निर्मिति के बाद सांस्कृतिक क्षेत्र में हुई एक महत्त्वपूर्ण घटना है । साहित्य और संस्कृति की वृद्धि के लिए और संवर्धन के लिए तर्कतीर्थ लक्ष्मणशास्त्री जोशीजी की अध्यक्षता में विद्वज्जनों की एक यंत्रणा खडी की ।
१७ मई १९६२ को वाई में साहित्य और संस्कृति मंडल ने विश्वकोष कार्यालय स्थापित किया । यशवंतरावजी ने उस कार्यालय का उद्घाटन किया । २३ मई १९६१ को पूना में लोकसाहित्य और लोकसंस्कृति संमेलन का आयोजन किया ।
मराठी राज्यभाषा
महाराष्ट्र राज्य निर्मिति के बाद मराठी भाषा को राज्यभाषा करने का यशवंतरावजी ने तय किया । उसके लिए भाषा संचालनालय की निर्मिति की गयी । सरकारी कारोबार में मराठी भाषा का माध्यम के रूप में उपयोग करने के लिए तुरंत उपाय किये गये । शासकीय कार्यालय में कारोबार मराठी भाषा में चलाने का निर्णय लिया । सभी तहसील कार्यालय में कारोबार, पत्रव्यवहार मराठी भाषा में करना चाहिए ऐसा निर्णय लिया गया ।
वरली दूध योजना
बम्बई शहर को दूध की पूर्ति करने के लिए वरली दूध डेअरी योजना तैयार की । यह तीन कोटी रुपयों की योजना थी । १९६१ में केवल १८ महिनों में उसका शुभारंभ हुआ । आरे डेअरी में डेअरी टेक्नॉलॉजी संस्था में भारतीय दुग्धालय पदविका अभ्यासक्रम यशवंतरावजी के कार्यकाल में शुरू हुआ । इस प्रकार का यह भारत में पहला अभ्यासक्रम है । संयुक्त राष्ट्र संघटना के अन्न और कृषि संघटना के द्वारा डेन्मार्क सरकार और भारत सरकार के सहयोग से दुग्ध-व्यवसाय के संबंध में दूसरी शिक्षा कक्षा उन्होंने आरे डेअरी में शुरू की ।
कोकण रेल का श्रीगणेशा
कोकण विभाग में दिवा-दासगाव मार्ग पर रेल शुरू कर कोकण में रेल लाने का काम यशवंतरावजी का है । दिवा-पनवेल रेल मार्ग का काम उन्होंने भारत सरकार की मंजूरी लेकर अपने कार्यकाल में शुरू किया ।