अधुनिक महाराष्ट्र के शिल्पकार-५९

मुफ्त शिक्षा योजना

शिक्षाविषयक कार्य को गति देने के लिए पुस्तकी शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा तक विविधांगी कार्यक्रम उन्होंने बडी मात्रा में शुरू किये । मूलोद्योग शिक्षा को बढावा दिया ।  प्रौढ शिक्षा की व्याप्ति बढायी । मुफ्त शिक्षा की योजना को बढावा दिया । प्रौढ शिक्षा की व्याप्ति बढायी । मुफ्त शिक्षा की योजना राज्य में यशवंतरावजी ने पहले पहल शुरू की । इसलिए शिक्षा के दरवाजे सभी के लिए खुल गये । इसका लाभ पिछडी जाति में होनेवाले लोगों को अधिक हुआ । प्रारंभ में जिन पालकों का वार्षिक उत्पन्न ९०० रुपयों की अपेक्षा ज्यादा न हो ऐसे पाल्यों को मुफ्त शिक्षा का नियम लागू किया और जल्दी ही यह उत्पन्न की मर्यादा १२०० रुपयों तक बढा दी । (आज यह मर्यादा ४८०० रुपयों तक है ।) इस सुविधा से ग्रामीण भाग में शिक्षा का प्रसार होने के लिए अच्छी गति मिली ।  इस के साथ ही पाँचवी कक्षा से अंग्रेजी विषय ऐच्छिक किया । ग्रामीण भाग में विद्यार्थियों को अंग्रेजी पढाने की ओर भी ध्यान दिया । मराठवाडा विभाग में शिक्षा का प्रसार होने के लिए उन्होंने शिक्षाविषयक संस्थाओं को मुक्त हाथोंसे अनुदान दिया ।  उन्होंने मराठवाडा के लिए स्वतंत्र विद्यापीठ की स्थापना की । २३ अगस्त १९५८ को पंडित जवाहरलाल नेहरूजी के शुभ हस्तोंसे उस विद्यापीठ का उद्घाटन हुआ । इस समय पंडित नेहरूजीने चव्हाणजी के कार्य का मुक्त कंठ से गौरव किया । दक्षिण महाराष्ट्र के लिए यशवंतरावजीने अपने कार्यकाल में कोल्हापूर में शिवाजी विद्यापीठ की स्थापना की और १८ नवंबर १९६२ को राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के करकमलोंद्वारा शिवाजी विद्यापीठ का उद्घाटन हुआ । उसके विकास के लिए यशवंतरावजीने ५० लाख रुपयों का प्रबंध किया । आर्थिक दृष्टिसे गरीब विद्यार्थियों के लिए इ.बी.सी. की सुविधा देकर या फीस माफ करके उनकी शिक्षा की सुविधा की । आदिवासी लडकों के लिए निवासी आश्रमशाला की स्थापना की । उच्च शिक्षा के लिए विविध शिष्यवृत्ति घोषणा की और उनका अंमल उनके कार्यकाल में शुरू हुआ ।

यशवंतरावजी ने सातारा सैनिकी स्कूल की स्थापना करने से नैशनल डिफेन्स अकादमी के लिए शिक्षा की सुविधा इस स्कूल में उपलब्ध हुई । भारत में इसी प्रकार का यह पहला सैनिकी स्कूल था ।

आदिवासी लडकों की शिक्षा के लिए उन्होंने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया । शिक्षा की गंगा आदिवासी के दरवाजे तक पहुँचाने की दृष्टि से उन्होंने आश्रमशाला की योजना बनायी । शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारक अनेक निर्णय यशवंतरावजी के नेतृत्व ने लिये ।  यशवंतरावजी ने कराड और औरंगाबाद में दो नये इंजिनिअरिंग महाविद्यालय खोल दिये । नागपूर में सरकारी इंजिनिअरिंग कॉलेज की स्थापना की । माध्यमिक शाला की फीस वृद्धि के कारण शासकीय तिजोरी पर बोझ पड रहा था । इसलिए यशवंतरावजीने फीस वृद्धि करने की घोषणा रद्द की ।