पार्लमेंटरी सेक्रेटरी, रसद और पूर्ति मंत्री
१९४६ में यशवंतरावजीने गृहमंत्री के पार्लमेंटरी सेक्रेटरी के रूप में शासन में पदार्पण किया । उन्होंने कुछ दिन तक पार्लमेंटरी सेक्रेटरी पद पर अच्छा काम किया । इसके बाद १९५२ में मुख्यमंत्री मोरारजीभाई देसाईजी ने यशवंतरावजी को अपने मंत्रिमंडल में अन्न और पूर्ति मंत्री के रूप मे समाविष्ट किया । उस समय जनता पूर्ति खाते का तिरस्कार करती थी । यह खाता यशवंतरावजी को एक आवाहन था । यशवंतरावजी ने यह खाता सहजता से सँभाला । उस समय रेशनिंग शुरू था । अनाज की परिस्थिति कठिन थी । रेशनिंग से शहर में लोगों की किसी तरह सुविधा होती थी पर ग्रामीण जनता को तकलीफ होती थी । अनाज का उत्पादन और आयात होकर भी वह जनता तक अच्छी तरह पहुँच नहीं पाता था । काला बाजार और जमाखोरी बढ गयी थी । खाते के सूत्र लेते ही उन्होंने जनता को विश्वास में लेने की नीति अपनायी । केंद्रीय रसद और पूर्ति मंत्री श्री. रफी अहमद किडवाई से उन्होंने अनाज के अमल के संबंध में लगातार चर्चा की । उनपर यशवंतरावजी का प्रभाव पडा । यशवंतरावजीने नियंत्रण पद्धति में कष्टदायी शर्ते दूर कर ग्रामीण जनता को दिलासा दिया । केंद्र शासन की नयी नीति जाहिर करते हुए व्यापारीयों को उचित समझ दी । नयी नीति सफल बनाने के लिए पुष्टिप्रद वातावरण निर्माण किया । चावल छोडकर अन्य अनाज पर होनेवाले नियंत्रण धीरे धीरे कम कर दिये । कपडा, केरोसिन, शक्कर इन वस्तुओं पर होनेवाले नियंत्रण ढीले कर दिये । इसका यह परिणाम हुआ कि बाजार में अनाज आने लगा । अगले मोसम तक रह गए नियंत्रण भी दूर किये जायेंगे । वे इसी प्रकार का दिलासा देते रहे । उसका उचित परिणाम हुआ । देश में बहुत अनाज उत्पादन हुआ । धीरे धीरे नियंत्रण दूर हुआ और आखिर सरकार को रसद और पूर्ति खाता बंद करना पडा । यह यशवंतरावजी की कार्यकुशलता का आदर्श है ।
शासन ने रसद और पूर्ति खाता तो बंद कर दिया और आगे .....
वनमंत्री
अब यशवंतरावजी वनमंत्री बने थे । वन की रक्षा और पशु-पक्षियों की रक्षा की ओर देखने की उनकी दृष्टि मानवीय थी । जंगल का संवर्धन और उनकी रक्षा इन दोनों का मानवीय जीवन से संबंध जुडा था । जंगल संपत्ति, जंगल में रहनेवाले वन्य पशु-पक्षियों की रक्षा करने की दृष्टि से उन्होंने कानून बनाया । ऐसा कानून बनानेवाला बम्बई राज्य देश में पहला राज्य है । इस कानून की कार्यान्विती करने के लिए उन्होंने प्रबंध किया । प्राणियों की शिकार पर रोक लगा दी । वन्य प्राणियों के लिए उन्होंने कानून बनाकर अभयारण्य की व्यवस्था की ।