अधुनिक महाराष्ट्र के शिल्पकार-७५

यशवंतरावजी का मृत्युपत्र

Y. B. Chavan
1, Race Course Road,
New Delhi, 11

मेरी पत्‍नी स्व. सौ. वेणूबाई की स्मृति के लिए मैं एक सार्वजनिक न्यास (Public Trust) स्थापित करूँगा । उसने मुझे निजी और सार्वजनिक जीवन में बहुमूल्य सहयोग दिया है । उसके लिए उसकी स्मृति जागृत रखना यही मेरे जीवन में बचा हुआ एकही आनंद है । उस दृष्टि से मेरी गतविधियाँ शुरू हो गयी है । मेरे कराड गाँव में जमीन खरीदकर उसपर एक वास्तू बाँधी जाय और इस वास्तू में मेरे निजी ग्रंथालय में होनेवाले अमुल्य ग्रंथ रखे जाय । साथ ही मेरे जीवन में अनेक व्यक्ति और संस्थाओं ने अनेक वस्तुएँ मुझे प्रेमस्वरूप भेट दी है । उनकी ही रक्षा हो जाय और वस्तु संग्रहालय के रूप में भी उनकी ही रक्षा हो जाय यही मेरी इच्छा है । और यह ग्रंथालय और वस्तुसंग्रहालय यह मेरी पत्‍नी की स्मृति है । उसकी रक्षा और वृद्धि की योजना की जाय यही संकल्प है ।

इस स्मृति मंदिर के लिए जो रकम (राशि) लगेगी उनमें से यथासंभव वह हिस्सा मैं दूँगा । देन के रूप में मेरी स्वर्गीय पत्‍नी के जो गहने हैं, उनका रुपांतर कर के जो राशि आयेगी, वह पूरी की पूरी रकम इस स्मारक को दी जाय । इसके सिवाय उरलीकांचन में होनेवाली उपजाऊ जमीन बेचकर जो रकम आयेगी, वह पूरी की पूरी रकम इस न्यास को दी जाय । मेरे हयात में मैं यह कार्य पूरा करने का प्रयत्‍न कर रहा हूँ । यदि वह नहीं हुआ तो मेरे विश्वस्तोंद्वारा उसे पूरा किया जाय ।

- यशवंतराव बलवंतराव चव्हाण