यशवंतरावजी की गलती
चरणसिंगजी के मंत्रिमंडल में वे उपपंतप्रधानमंत्री हुए यह तो महाराष्ट्र के लिए संतोष की बात थी । पर वे स्वयं कहते हैं - 'चरणसिंगजी के मंत्रिमंडल में मैं गया, यह तो मैने मेरे जीवन में बडी गलती की, क्योंकि उन्हें उपप्रधानमंत्री बनाकर इंदिराजी को उनका राजनीतिक खेल समाप्त करना था ।' चरणसिंगजी को प्रधानमंत्री बनाकर चव्हाणजी जैसे शासकीय और प्रशासकीय अनुभव होनेवाले प्रभावी नेता को पंतप्रधानमंत्री पदसे दूर रखना था ।
राजनीति में सत्ता के लिए युती और तत्त्वों की अंत्येष्टि यह समीकरण सर्वत्र चलता है । यशवंतरावजी ने जनतंत्र के मूल्यों का, सामाजिक न्याय का और मानवतावाद का मूल्यांकन कभी नहीं किया । नेहरूजी के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी का प्रश्न आगे आया । पर्याय के रूप में यशवंतरावजी के नाम की चर्चा हुई । मोरारजी और शास्त्रीजी इन दोनों में से एक पीछे हट जाता तो पर्यायी उम्मीदवार के रूप मे यशवंतरावजी का नाम आगे आ जाता । उसके बाद लालबहादूर शास्त्रीजी प्रधानमंत्री हो गये । यशवंतरावजी रक्षा मंत्री हो गये । १९६५ के पाक आक्रमण के समय भारत के देदीप्यमान विजय से देश का सन्मान बढ गया । शास्त्रीजी के आकस्मिक निधन से फिर प्रधानमंत्री पद के उत्तराधिकारी का प्रश्न निर्माण हुआ । इस समय यशवंतरावजी का नाम चर्चा में था । उन्होंने इंदिरा गांधीजी से कहा कि आप प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे तो मैं आप को समर्थन दूँगा और आप उम्मीदवार नहीं होंगे तो मैं आपके समर्थन की अपेक्षा करता हूँ । अन्त में इंदिरा गांधीजी प्रधानमंत्री हो गयी और चव्हाणजी गृहमंत्री हो गये । आगे इंदिरा गांधीजी के एकाधिकारशाही में तनाव बढता गया । १९६९ में काँग्रेस पक्ष में फूट पडी । मंत्रिमंडल की फेररचना में यशवंतरावजी को अर्थ खाता दिया गया । उसके बाद उन्होंने विदेशमंत्री पद भी सँभाला ।