मुख्यमंत्री : अजी बनाब अली, मेरी दिल तो देखिए । एक बार आजमाइए तो सही । पर हाँ, आपल लोग जब महाराष्ट्र में रहते है तो कुछ न कुछ तो मराठी रीख ही लीजिए ।
पत्रकार : आपका कहना वाजिब है, पर आप जैसे हिन्दी सीख रहे है, वैसे ही हम भी मराठी सीख रहे है ।
मुख्यमंत्री : चलो, झगडा खथ्म हुआ । अच्छा किया कि आपने मेरा ध्यान इस ओर दिलाया । अभी तक ऐसी शिकायत मेरे पास नहीं आई थी ।
पन्द्रह मिनिट की कांफ्रेन्स एक घंटे में खत्म हुई । मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के साथ दिल खोलकर चर्चा की । मनोविनोद की उनकी शैली विचित्र है । जो लोग उनके सम्पर्क मे नही आ पाते, वे समझते है कि मुख्यमंत्री रिझर्व-माइन्डेड है, पर ऐसी बात नहीं । अभिमान की लेश मात्र मी झलक नहीं, जैसा की उनकी चाल-ढाल बातचीत की शैली से जाहिर होता है । उनकी बाना से ऐसा लगा कि मुख्यमंत्री कोई मी चीज छिपा कर नहीं रखा चाहते । यही उनकी एक विशेषता है । उनकी लोकप्रियता की यह कुंजी है ।
" महाराष्ट्र की जनता को अपने को एक ही समुदाय के सदस्यो के रूप में समझना चाहिए न कि ब्राह्मण और गैरब्राह्मण, अथवा मराठा और गैर मराठा के रूप में । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए समाज सेवकों की एक बडी संख्या प्रचारकार्य करेगी । महाराष्ट्र में वर्गवादी या संकीर्ण विचारधारा के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा । मराठी राज्य का अर्थ केवल मराठी या किसी एक ही समुदाय का शासन कभी नहीं होगा । योग्य व्यक्तियों का जहां कही भी वे मिलेंगे, समुचित सन्मान किया जायगा ।"