• 001_Krishnakath.jpg
  • 002_Vividhangi-Vyaktimatva-1.jpg
  • 003_Shabdhanche.jpg
  • 004_Mazya-Rajkiya-Athwani.jpg
  • 005_Saheb_14.jpg
  • 006_Yashodhan_76.jpg
  • 007_Yashodharshan.jpg
  • 008_Yashwant-Chintanik.jpg
  • 009_Kartrutva.jpg
  • 010_Maulik-Vichar.jpg
  • 011_YCHAVAN-N-D-MAHANOR.jpg
  • 012_Sahyadricheware.jpg
  • 013_Runanubandh.jpg
  • 014_Bhumika.jpg
  • 016_YCHAVAN-SAHITYA-SUCHI.jpg
  • 017_Maharashtratil-Dushkal.jpg
  • Debacle-to-Revival-1.jpg
  • INDIA's-FOREIGN-POLICY.jpg
  • ORAL-HISTORY-TRANSCRIPT.jpg
  • sing_3.jpg

अभिनंदन ग्रंथ - (हिंदी लेख)-श्री यशवंतराव चव्हान पत्रकार की निगाह में-3

मुख्यमंत्री : अजी बनाब अली, मेरी दिल तो देखिए । एक बार आजमाइए तो सही । पर हाँ, आपल लोग जब महाराष्ट्र में रहते है तो कुछ न कुछ तो मराठी रीख ही लीजिए ।

पत्रकार : आपका कहना वाजिब है, पर आप जैसे हिन्दी सीख रहे है, वैसे ही हम भी मराठी सीख रहे है ।

मुख्यमंत्री : चलो, झगडा खथ्म हुआ । अच्छा किया कि आपने मेरा ध्यान इस ओर दिलाया । अभी तक ऐसी शिकायत मेरे पास नहीं आई थी ।

पन्द्रह मिनिट की कांफ्रेन्स एक घंटे में खत्म हुई । मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के साथ दिल खोलकर चर्चा की । मनोविनोद की उनकी शैली विचित्र है । जो लोग उनके सम्पर्क मे नही आ पाते, वे समझते है कि मुख्यमंत्री रिझर्व-माइन्डेड है, पर ऐसी बात नहीं । अभिमान की लेश मात्र मी झलक नहीं, जैसा की उनकी चाल-ढाल बातचीत की शैली से जाहिर होता है । उनकी बाना से ऐसा लगा कि मुख्यमंत्री कोई मी चीज छिपा कर नहीं रखा चाहते । यही उनकी एक विशेषता है । उनकी लोकप्रियता की यह कुंजी है ।

" महाराष्ट्र की जनता को अपने को एक ही समुदाय के सदस्यो के रूप में समझना चाहिए न कि ब्राह्मण और गैरब्राह्मण, अथवा मराठा और गैर मराठा के रूप में । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए समाज सेवकों की एक बडी संख्या प्रचारकार्य करेगी । महाराष्ट्र में वर्गवादी या संकीर्ण विचारधारा के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा । मराठी राज्य का अर्थ केवल मराठी या किसी एक ही समुदाय का शासन कभी नहीं होगा । योग्य व्यक्तियों का जहां कही भी वे मिलेंगे, समुचित सन्मान किया जायगा ।"