शतशत वन्दन
प्रभात शुक्ल
शत-शत वन्दन ! शुभ अभिनन्दन !! नव वसन्त 'यशवन्त' की ।
सह्याद्रि के वन-उपवन के रसमय-सरस सुगन्ध की ।।
वीर-धीर मुस्कानों से जो चीर निशा की छाती को,
जन-जागृति के हेतु सदा स्नेह-दीप की छाती को;
अधिरल जला-जला कर साथी आँधी ओं, तूफा में,
चला अडिग विश्वास लिए जो बापू के वरदान में;
जाग्रत प्रतिमा छत्रपति के पौरूष अमित अनन्त की !
शत-शत वन्दन ! शुभ अभिनन्दन !! नव वसन्त 'यशवन्त' की ।।
अभिनन्दन शत बार हमारा उस माई के लाल का,
सदा दाहिना हाथ रहा जो वीर जवाहरलाल का;
जिनकी विजयों का साक्षी वह हिन्दूकुश गिरिराज है,
वीर मराठों के जन-मन का गौरवमय सिरताज है;
आज चन्द्रिका-सी फैली है धवल कीर्ति 'यशवन्स' की !
शत-शत वन्दन ! शुभ अभिनन्दन !! नव वसन्त 'यशवन्त' की !!