श्री यशवंतराव चव्हान पत्रकार की निगाह में.
भगवान प्रसाद त्रिपाठी , पत्रकार वर्धा
यह घटना उन दिनों की है जब आजके मुख्यमंत्री श्री यशवन्तराव चव्हान मुख्यमंत्री नहीं बल्कि बम्बई सरकार के एक मिनिस्टर के रूप में नागपूर आए थे । वे भूतपूर्व मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्यमंत्री श्री कन्नमवारजी के अतिथि थे । सम्भवत: उनका आगमन 'नागपूर करार' के सिलसिले में था । राजनैतिक उथल पुथल के बीच उनका नागपूर आगमन काफी महत्त्वपूर्ण माना गाया । श्री कन्नमवारजी के बंगले पर कुछ राजनैतिक कार्यकर्ताओ से उनकी आपसी चर्चा चल रही थी । उस समय उनके चर्चा करने का ढंग, उनकी हाजिर जवाबी स्वाभाविक रूप से अपनी और आकर्षित कर लेती थी । उस समय किसी भी राजनैतिक कार्यकर्ता ने यह नही सोचा था कि एक दिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में इस व्यक्ति का नाम प्रमुख रूप से सामने आएगा । भविष्य में यही व्यक्तित्व मुख्यमंत्रित्व के रूप में निखऱ उठा ।
भाषावार प्रान्तरचना कमीशन ने द्विभाषी राज्य का निर्माण कर उक्त नवीन प्रान्त के नेतृत्व का भार देश के सब से कम उम्र वाले मुख्यमंत्री श्री चव्हान के हाथो में सौंप दिया । मुख्यमंत्री का पद सम्हालते ही श्री चव्हान का नाम सामने आया और सभी अखबारो में मुख्यपृष्ठों पर यह नाम चमक उठा । राजनैतिक थपेडो के बीच गुजरात और महाराष्ट्र का एकीकरण कितनी खूबसूरती के साथ किया गया, इसकी जानकारी सभी को हो । गुजराती, मराठी और हिन्दी भाषा भाषियों के झमेले को सुन्दरता के साथ निपटाते हुए शासन की गाडी आगे बढती गई । परिस्थितियों ने करवट बदली और गुजरात पृथक् हो गया । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रुप में श्री चव्हान का चुनाव किया गया । गुजराती विधान सभा सदस्य जब अलग होने लगे, तब प्रत्येक क चेहरे देखने योग्य थे । उन्हें महाराष्ट्र से अलग होने का दुख तो था, पर साथ साथ मुख्यमंत्री के नेतृत्व से वंचित होने का भी उन्हें कम सदमा नहीं था । प्रत्येक गुजराती विधानसभा सदस्य ने श्री चव्हान के नेतृत्व की प्रसंशा की और कुशल नेतृत्व का लाभ गुजरात को भविष्य में न मिलने पर भारी दुख प्रकट किया । उस समय भी हम लोक केवल अखबारो के माध्यम से श्री चव्हान को जान और समझ पाए थे ।
अच्छा भाई, चलो बाहर चलते है
वर्धा रेल्वे स्टेशन का भी यह सौभाग्य रहा कि आते-जाते वहां न जाने कितने आकर्षक व्यक्तित्व मिल जाया करते है । मुख्यमन्त्री श्री चव्हान रेल द्वारा कलकत्ता काँग्रेस की एक बैठक में भाग लेने जा रहे थे । वर्धा रेल्वे स्टेशन पर जनता की ओर से उनका भव्य-स्वागत किया गया । स्वागत होने के पश्चात् वे जल्दी ही डब्बे में जाकर बैठ गए । ट्रेन रुपी रही और जनता भी अपने नेता के दर्शन करने के लिए डटी रही । श्री चव्हान का अपने डब्बे में जाकर पहले बैठ जाना लोगों को काफी खटका । कुछ लोग कडी जबान का भी उपयोग करने लगे ।
"यही क्या सभ्यता है, तहजीब है कि लोग बाहर उत्सुकतापूर्वक खडे रहें और हमारे नेता डिब्बो में एअर कन्डीशन की बहार लुटते रहें ।" इस प्रकार की आलोचनाएं प्रारंम्भ हो गईं । एक युवक हिमत कर अन्दर डिब्बे में घुस गया और मुख्यमंत्री से कहने लगा - "चव्हान साहब आपके दर्शन के लिए बाहर भीड खडी है "