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अभिनंदन ग्रंथ - प्रस्तावना (हिंदी लेख)

abhinandan


अभिनंदन ग्रंथ
(हिंदी लेख)
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 प्रस्तावना

 पन्नालाल देशराज, महापौर, नागपूर

भारत-वर्ष आज विश्वास और धैर्य के साथ प्रगति पथ पर तीव्रता से आगे बढं रहा है, उसको अपने प्राचीन इतिहास का गौरव अच्छी तरह से प्रेरणा दे रहा है । इस इतिहास में ऋषि-मुनियो के साथ ही साथ भारतीय वीर जातियों का भी बहुत ही ऊंचा स्थान रहा है । इन वीर जातियो में से एक जमात महाराष्ट्र भूमि में हजारों वर्षो से भारत की शान बढा रही है । इसी जमात के सुपुत्र आज हम श्री. यशवंतरावजी के रुप में देख रहे है । शौर्य व वीरता के प्रतीक महाराणा प्रताप तथा छत्रपति शिवाजी महाराज की हर भारतीय के हृदय में हमेशा से पूजा होती रही है । पतन के काल में भी उत्साह और जोश भर देने का काम इनकी स्मृतियां करती रही है । श्री. यशवंतरावजी का अभी कोई थोडी दिनो से संपूर्ण भारत-वर्ष को परिचय हुआ है । इस परिचय से फिर भी ऐसा आशा वृद्धिंगत हो रही है की भारतीय गणतंत्र भी अच्छे अच्छे राज्यकर्ताओं को उत्थानशील करने में बहुत कुछ काम कर रहा है । बहुत ही थोडे दिनों में श्री. यशवंतरावजी ने अपने कार्या की ऐसी झलक दिखाई है, जिससे संदेह नही रह सकता कि अपना प्रजातंत्र मजबूती के साथ जनता का कल्याण-कार्य-नियोजन निश्चित रूप से सफल कर सकेगा । श्री. यशवंतरावजी की कार्यप्रणाली, राजनितिक सूझबूझ, प्रशासनपद्धति और काँग्रेस जैसे संगठन पर श्रद्धा उनकी महान योग्यता की बहुत कुछ परिचय देती है । उनकी संगठनशक्ति तथा जनता के मन में उत्साह व प्रेरणा पैदा करने का तरीका मी अनुकरणीय है, इसमें कोई शंका नही है । बम्बई जैसी भारत की आर्थिक राजधानी का स्थान और विश्व-जनीय संस्कृति का केन्द्र, श्री यशवंतरावजी के अधिकार ग्रहण के बाद, अल्पसमय में ही उनके प्रति विश्वास करने लगा है । इतना ही नहीं बल्कि अब तो सभी स्तर के लोग चाहे गरीब हों या अमीर, उनकी प्रशंसा ही करते है । तथाकथित अल्पसंख्य जमातें-गुजराती, हिंदी, बंगाली, तामिली, कन्नड, पारशी, मुसलमान, यहुदी व इसाई आदि कोई भी हो, बिना संदेह श्री. यशवंतरावजी पर विश्वास कर उनका गुणगान करती है । भारतीय एकत के एक श्रेष्ठ पूजक इस नाते से श्री. यशवंतरावजी के प्रति एकदम आदरभाव पैदा होता है । मुख्यमंत्री जैसे ऊंचे स्थान पर विराजमान होते हुए भी गर्व-रहित नम्रता उनके व्यवहार और बातचीत में हमेशा प्रतीत होती है । वे प्रगतिशील विचारो के व समाजवादी समाज-रचना के ध्येय के एक बहुत बडे हिमायती हैं । तब भी वर्ग-संघर्ष को वे कमी भी बढने नहीं देते । पूंजीपतियो का भी हृदयपरिवर्तन करने में अपनी कुशलता बतलाते है । महाराष्ट्र राज्य के इन नेता में बहुत ऊॅंचे दर्ज की गुण-संपन्नता देखकर मन विनम्र हो जाता है । युवक होते हुए भी बडी गंभीरता व सामंजस्य के साथ वे महाराष्ट्र की समस्याएं, जो कि बहुत जटिल हैं, सुलझा रहे हैं ।

भारतीय काँग्रेस के नेता और महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री, ऐसे एक कुशल राजनैतिज्ञ श्री. यशवंतरावजी चव्हाण की ४७ वीं वर्षगांठ, समारोह के साथ मनाने का सौभाग्य नागपूर नगरी को प्राप्त हुआ है ।नागपूर के महापौर के नाते इस समारोह का प्रमुख पद मुझे प्राप्त हुआ है । विशेषत: इसलिए मैं नम्रता के साथ अपने को गौरवान्वित मानता हूं कि इस सुअवसर पर मैं यह अभिनंद ग्रन्थ जिस में प्रसिद्ध विद्वान और विभिन्न विचारों के लेखकों के विचार परिपूर्ण और मंगल भावनाओ से युक्त लेख तथा बडे बडे भारती विद्वानो के आशीर्वाद समाविष्ट किये हैं, देने का सौभाग्य हमें मिला है । श्री. यशवंरावजी चव्हाण स्वस्थ रहें और ऐसी बहुतसी वर्षगाठें देखें, ऐसी शुभ-कामना मैं प्रकट करता हूं ।