यशवंतरावजी चव्हाण व्यक्ति और कार्य -१

व्यक्ति और कार्य - परिचय

''इस राज्य को आज तक दो मुख्य मंत्री प्राप्‍त हुए । उन्होंने सर्वसाधारण परिस्थिति में राज्य की धुरा वहन कर इस राज्य को देश का सर्वप्रगत आदर्श राज्य बनाने की भरसक कोशिश की । लेकिन उन्हें अपने कार्य-काल में जितनी मुसीबतों, क्लेषों, विषमताओं एवं पग पग पर आ पडती आपत्तियों का सामना करना पडा उससे कई गुना ज्यादा राज्य के वर्तमान मुख्य मंत्री को करना पड रहा है । ठीक वैसे ही यह भी निर्विकार सत्य है कि जो यश, कीर्ति और सफलता पूर्वगामी दो मुख्य मंत्रियों को हासिल न हुई उससे कई गुनी अधिक सफलता, यश और कीर्ति वर्तमान मुख्य मंत्री को राज्य के विस्फोटक और अस्थिर वातावरण में मुख्य मंत्रीत्व का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व अंगिकार करने के सिर्फ एक वर्ष की अल्पावधि में ही प्राप्‍त हुई । जादू की छडी तरह उन्होंने सारी अशांत परिस्थिति पर अपना नियंत्रण प्रस्थापित कर शांतिमय तरीके से जनतंत्र की नींव पक्की की । एक समय मैं भी गृहमंत्री था । अतः शांति प्रस्थापना का कार्य कितना दुष्कर और मुश्किल है इससे मैं पूर्णतया परिचित हूँ । बंदूक की गोलियाँ, अश्रुगैस का मारा और छडीमार के बिना जहाँ हम शांति प्रस्थापना में कभी सफल न हो सके वहाँ आजके हमारे मुख्य मंत्री ने अपने मृदु स्वभाव, अल्पभाषी वृत्ति और स्नेहपूर्ण व्यवहार से विरोधी दलों की जडें खोखली कर जनतंत्र का पाया सुदृढ बनाया है । कुछ लोग कहते हैं कि काँग्रेस में युवा-शक्ति का पूर्णतया अभाव है । नये खून के लिए कोई स्थान नहीं । लेकिन वे गलत कहते हैं और गलत सोचते हैं । काँग्रेस में रहे नये खून और युवा शक्ति के प्रतीक तथा पुरोगामी विचारधारा का प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे वर्तमान मुख्य मंत्री खुद ही हैं । काँग्रेस के इतिहास में एक युग फिरोजशाह मेहता का था, उसके बाद बैनर्जी का युग आया, तत्पश्चात् लोकमान्य तिलक अर्से तक राष्ट्रीय सभा पर छाये रहे । लोकमान्य की मृत्योपरांत महात्मा गांधी काँग्रेस के कर्णधार बने। आज पंडित नेहरू की काँग्रेस है, और आनेवाली काँग्रेस नौजवानों की होगी, नये खून की होगी, देश की युवा-शक्ति की होगी, अर्थात् वर्तमान मुख्य मंत्री की होगी ।'' उपरोक्त उद्‍गार उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल, भारतीय संविधान के निर्माता, देशके श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ, मूर्धन्य साहित्यकार एवं स्वतंत्र पार्टी के प्रमुख नेता श्री क. मा. मुंशी के हैं, जो उन्होंने बम्बई नगर के समस्त श्रमिक-मंडलों द्वारा आयोजित मुख्य मंत्री श्री यशवंतराव चव्हाण का सार्वजनिक अभिनन्दन करने के लिए आयाजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये थे ।

एक प्रसंग पर काँग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष श्री उछरंगराय ढेबरने यशवंतराव का गौरवानुवाद करते हुए कहा था कि नूतन बम्बई राज्य की नौका किस तरह चलेगी इसकी चिंता हमें रातदिन खाये जा रही थी । भाषाई प्रश्न को लेकर समिति और परिषदने ताण्डव मचा कर जिस विस्फोटक स्थिति को पैदा किया था । उस पर काबू पाना निहायत जरूरी था । और हमारी वह चिंता राज्य के मुख्य मंत्री श्री यशवंतरावने अपनी अद्वितीय प्रशासनपटुता, बेजोड नेतृत्व एवं व्यावहारिक बुद्धि से दूर की । काँग्रेस को श्री यशवंतराव चव्हाण जैसे युवक-नेता प्राप्‍त होने पर नाज है । ये विचार ही यशवंतराव की कर्त्तव्यपरायणता एवं कार्यकुशलता के ज्वलंत प्रमाण हैं । पंडित नेहरू, गोविंद वल्लभ पंत, श्री मोरारजी देसाई, श्री कृष्ण मेनन आदि देशके वरिष्ठ नेता श्री यशवंतराव की कर्तृत्वशक्ति, संगठन चातुर्य और विवेकी वाणी की ओर बडे ही कौतूहल से देख रहे हैं । यशवंतराव की कीर्ति और यश में तब चार चाँद लग गये जब देश की सर्वमान्य शिक्षणसंस्था अलीगढ विद्यापीठने उन्हें 'डॉक्टर ऑफ लॉज्' का खिताब अर्पण कर सम्मानित किया । राजकीय क्षेत्रमें कार्य करने वाले असंख्य कार्यकर्ताओंमें से किसी नौजवान कार्यकर्ता का इस कदर किसी विश्वविद्यालय ने सम्मान किया हो, यह पहला ही अवसर है ।