• 001_Krishnakath.jpg
  • 002_Vividhangi-Vyaktimatva-1.jpg
  • 003_Shabdhanche.jpg
  • 004_Mazya-Rajkiya-Athwani.jpg
  • 005_Saheb_14.jpg
  • 006_Yashodhan_76.jpg
  • 007_Yashodharshan.jpg
  • 008_Yashwant-Chintanik.jpg
  • 009_Kartrutva.jpg
  • 010_Maulik-Vichar.jpg
  • 011_YCHAVAN-N-D-MAHANOR.jpg
  • 012_Sahyadricheware.jpg
  • 013_Runanubandh.jpg
  • 014_Bhumika.jpg
  • 016_YCHAVAN-SAHITYA-SUCHI.jpg
  • 017_Maharashtratil-Dushkal.jpg
  • Debacle-to-Revival-1.jpg
  • INDIA's-FOREIGN-POLICY.jpg
  • ORAL-HISTORY-TRANSCRIPT.jpg
  • sing_3.jpg

अधुनिक महाराष्ट्र के शिल्पकार-९२

यशवंतरावजी ने शिक्षा के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है - 'मैं तीन भाशा का पुरस्कर्ता हूँ जिसे थ्री लँग्वेज फॉर्म्युला कहते है । जिस में मातृभाषा के साथ हिन्दी राष्ट्रभाषा, हिन्दी के साथ कुछ काल तक अंग्रेजी भाषा होना आवश्यक है ।'  यशवंतरावजी के मत अनुसार हमारे देश में उच्च शिक्षा का माध्यम भी मातृभाषा ही होनी चाहिए । क्योंकि विदेशी भाषा में उच्च शिक्षा दी गयी तो समाज के अंतिम स्तर तक वह पहुँचेगी कैसी ?

सच तो यह है कि भाषा विचार के बाद आती है ! भाषा का सच्चा सामर्थ्य विचार व्यक्त करने में है । इसलिए भाषा विचार व्यक्त करने से संपन्न होती है । भाषा के विकास से सांस्कृतिक संपन्नता बढती है और इन सब बातों का संक्रमण-संवर्धन उच्च शिक्षा से होना चाहिए ।

मातृभाषा से शिक्षा दी जाने से मराठी भाषा ज्ञानवाहिनी होगी । उसके लिये उन्होंने वैसे निर्णय लिये । इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र राज्य साहित्य और संस्कृती मंडल की स्थापना की । मराठी विश्वकोश निर्मिति का कार्य भी उन्होंने किया ।

१९६० में महाबलेश्वर में आयोजित काँग्रेस कार्यकर्ताओं के शिबीर के समारोप प्रसंग में यशवंतरावजी ने कहा - 'मैं आपसे कहता हूँ कि शिक्षा की तरफ केवल सामाजिक जरूरत की दृष्टि से मैं नहीं देखता । मेरे मत से शिक्षा आर्थिक विकास का एक मूलभूत साधन है । हम में शक्ति निर्माण करने के लिए हमारे पास मनुष्यबल के सिवाय दूसरा कोई साधन नही है । हमे इस साधना का विकास करने के लिए उसे शिक्षा की जोड देना है ।  देहात में बिजली पहुँचे बिना जैसे खेती का विकास नही होता वैसे हमारा अनुपजाऊ पडा हुआ मनुष्यबल का ये जो बडा साधन संपत्ति भाग है उस में शिक्षा की बिजली लिये बिना नवसामर्थ्य नहीं होगा । यही मेरा शिक्षा की तरफ देखने का दृष्टिकोन है ।'