इसी अर्से में महाराष्ट्र काँग्रेस के ज्येष्ठ नेता और गोवा आन्दोलन के संस्थापक श्री केशवराव जेधे की मृत्यु हो जानेके कारण संसद के लिए रिक्त बने स्थान के उपचुनाव का अवसर आया । काँग्रेसने इस स्थान के लिए श्री जेधे के सुपुत्र को ही अपना उम्मिदवार मनोनीत कर चुनाव लडने का निर्णय किया । सबको आशा थी कि काँग्रेस उम्मिदवार के विरोध में कोई खडा न होगा । क्योंकि भाषाई समस्या हल जो हो गई
थी । लेकिन समिति ने अपना दुराग्रह न छोडा और जेधे के खिलाफ श्री पवार, बारामती के एडवोकेट को खडा कर चुनाव लडने का निश्चय किया । संयुक्त महाराष्ट्र के उदय की मांगलिक बेला में बारामती का उपचुनाव काँग्रेस और समिति की प्रतिष्ठा का विषय बन गया । अब देखना यह था कि जनता किसके पीछे हैं - काँग्रेस या समिति ? गत आम चुनाव के बाद यशवंतरावने बारामती में प्रथम बार चुनाव अभियान में सक्रिय भाग
लिया । रात-दिन एक कर उन्होंने बारामती निर्वाचन क्षेत्र का तूफानी दौरा किया और प्रस्ताविक महाराष्ट्र के बारे में काँग्रेस-दल की हलचलों से सबको परिचित किया । इस उपचुनाव में विजयश्री काँग्रेस के हाथ रही ।
बारामती उपचुनाव से स्पष्ट हो गया कि महाराष्ट्र जनता काँग्रेस के साथ है । वह यह मानती है कि विशाल द्विभाषिक का दिभाजन दो एक भाषी राज्यों में करा कर महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की स्थापना कराने का कठिन कार्य संपन्न करनेका सारा श्रेय कर्तव्यनिष्ठ, व्यवहारकुशल, उत्तम राजनीतिज्ञ एवं युवा-शक्ति के एकमेव प्रतीक हमारे मुख्य मंत्री श्री यशवंतराव चव्हाण को है । और इसीके फलस्वरूप उनकी ४७ वीं वर्षगाँठ सांगली में महाराष्ट्र के सभी क्षेत्रों के अग्रणी और दिग्गज नेताओं तथा अथाह जनसागर के बीच बडी ही धूमधाम से मनाई गई ।
यशवंतराव आज एक नौजवान भारतीय नेता के रूपमें देशकी प्रजाके समक्ष हैं । उनके आज तक के जीवन का इतिहास, भारतीय राजकीय क्षितिज पर उदित हुए नक्षत्र के पहले का इतिहास है । वास्तव में उनका राजनैतिक जीवन अब शुरू होता है । सूर्योदय होने पर तिमिराच्छन्न रात्रि का भय दूर हो जाता है और मानव मात्र को प्रकाश के साथ 'प्रवृत्तिलक्षणो योगः' का संदेश मिलता है । ठीक उसी तरह यशवंतराव ने सूर्य-रूप धारण कर भाषाई-तिमिराच्छन्न रात्रि को दूर भगा कर नवजीवन एवं राष्ट्रीय ऐक्य का अमर संदेश दिया है, जो समाज, देश, संस्कृति और धर्म का संरक्षण, संवर्धन और संगठन का मलूभूत स्वरूप है ।